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Tuesday, January 7, 2014
Nambi_Narayanan
ISRO वैज्ञानिक NAMBI NARAYAN साहब ,,,,, ये भारत की रॉकेट तकनीक में तरल ईंधन तकनीक को बढ़ावा देने तथा CRYOGENIC ENGINE का भारतीयकरण करने वाले अग्रणी वैज्ञानिक हैं.
इसरो वैज्ञानिक नम्बी... नारायण ने केरल हाईकोर्ट में शपथ-पत्र दाखिल करके कहा है कि जिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें जासूसी और सैक्स स्कैंडल के झूठे आरोपों में फंसाया, वास्तव में ये पुलिस अधिकारी किसी विदेशी शक्ति के हाथ में खिलौने हैं और देश में उपस्थिति बड़े षड्यंत्रकारियों के हाथ की कठपुतली हैं. इन पुलिस अधिकारियों ने मुझे इसलिए बदनाम किया ताकि इसरो में CRYOGENIC इंजन तकनीक पर जो काम चल रहा था, उसे हतोत्साहित किया जा सके, भारत को इस विशिष्ट तकनीक के विकास से रोका जा सके.
नम्बी नारायण ने आगे लिखा है कि यदि डीजीपी सीबी मैथ्यू द्वारा उस समय मेरी अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी नहीं हुई होती, तो सन 2000 में ही भारत क्रायोजेनिक इंजन का विकास कर लेता. श्री नारायण ने कहा, “तथ्य यह है कि आज तेरह साल बाद भी भारत क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण नहीं कर पाया है. केरल पुलिस की केस डायरी से स्पष्ट है कि “संयोगवश” जो भारतीय और रशियन वैज्ञानिक इस महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट से जुड़े थे उन सभी को पुलिस ने आरोपी बनाया”. 30 नवम्बर 1994 को बिना किसी सबूत अथवा सर्च वारंट के श्री नम्बी नारायण को गिरफ्तार कर लिया गया. नम्बी नारायण ने कहा कि पहले उन्हें सिर्फ शक था कि इसके पीछे CIA है, लेकिन उन्होंने यह आरोप नहीं लगाया था. लेकिन जब IB के अतिरिक्त महानिदेशक रतन सहगल को IB के ही अरुण भगत ने CIA के लिए काम करते रंगे हाथों पकड लिया और सरकार ने उन्हें नवम्बर 1996 में सेवा से निकाल दिया, तब उन्होंने अपने शपथ-पत्र में इसका स्पष्ट आरोप लगाया कि देश के उच्च संस्थानों में विदेशी ताकतों की तगड़ी घुसपैठ बन चुकी है, जो न सिर्फ नीतियों को प्रभावित करते हैं, बल्कि वैज्ञानिक व रक्षा शोधों में अड़ंगे लगाने के षडयंत्र रचते हैं. इतने गंभीर आरोपों के बावजूद देश की मीडिया और सत्ता गलियारों में सन्नाटा है, हैरतनाक नहीं लगता ये सब?
क्रायोजेनिक इंजन का यह प्रोजेक्ट कभी शुरू न हो सका, क्योंकि “अचानक” महान वैज्ञानिक नंबी नारायण को जासूसी और सैक्स स्कैंडल के आरोपों में फँसा दिया गया. नम्बी नारायणन की दो दशक की मेहनत बाद में रंग लाई, जब उनकी ही टीम ने “विकास” नाम का रॉकेट इंजन निर्मित किया, जिसका उपयोग इसरो ने PSLV को अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए किया. इसी “विकास” इंजन का उपयोग भारत के चन्द्र मिशन में GSLV के दुसरे चरण में भी किया गया, जो बेहद सफल रहा.
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