ब्रह्मगुप्त: प्रतिभाशाली गणितज्ञ
हमारे देश में जन्मे गणितज्ञों में ब्रह्मगुप्त का स्थान भी अत्यंत महत्वपूर्ण है | गणित के साथ साथ ये खगोल शास्त्र तथा ज्योतिष में भी पारंगत थे |
आचार्य ब्रह्मगुप्त का जन्म राजस्थान राज्य के भीनमाल शहर में ईस्वी सन् 598 में हुआ था।
वे तत्कालीन गुर्जर प्रदेश (भीनमाल) के अन्तर्गत आने वाले प्रख्यात शहर उज्जैन (वर्तमान मध्य प्रदेश) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे और इस दौरान उन्होने दो विशेष ग्रन्थ लिखे:
1. ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त (सन ६२८ में) और
2. खण्डखाद्यक या खण्डखाद्यपद्धति (सन् ६६५ ई में)
'ब्रह्मस्फुटसिद्धांत' उनका सबसे पहला ग्रन्थ माना जाता है इसके साढ़े चार अध्याय मूलभूत गणित को समर्पित हैं। जिसमें शून्य का एक अलग अंक के रूप में उल्लेख किया गया है । यही नहीं, बल्कि इस ग्रन्थ में ऋणात्मक (negative) अंकों और शून्य पर गणित करने के सभी नियमों का वर्णन भी किया गया है ।
ब्रह्मगुप्त ने द्विघातीय अनिर्णयास्पद समीकरणों ( Nx2 + 1 = y2 ) के हल की विधि भी खोज निकाली। इनकी विधि का नाम चक्रवाल विधि है। गणित के सिद्धान्तों का ज्योतिष में प्रयोग करने वाले यह प्रथम व्यक्ति थे |
>ब्रह्मगुप्त ने किसी वृत्त के क्षेत्रफल को एक समान क्षेत्रफल वाले वर्ग से स्थानान्तरित करने का भी यत्न किया।
>ब्रह्मगुप्त ने पृथ्वी की परिधि ज्ञात की थी, जो आधुनिक मान के निकट है।
>ब्रह्मगुप्त पाई (pi) (३.१४१५९२६५) का मान १० के वर्गमूल (३.१६२२७७६६) के बराबर माना।
>ब्रह्मगुप्त अनावर्त वितत भिन्नों के सिद्धांत से परिचित थे। इन्होंने एक घातीय अनिर्धार्य समीकरण का पूर्णाकों में व्यापक हल दिया, जो आधुनिक पुस्तकों में इसी रूप में पाया जाता है, और अनिर्धार्य वर्ग समीकरण, K y2 + 1 = x2 , को भी हल करने का प्रयत्न किया।
ब्रह्मगुप्त का सूत्र :
ब्रह्मगुप्त का सबसे महत्वपूर्ण योगदान चक्रीय चतुर्भुज पर है। उन्होने बताया कि चक्रीय चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर लम्बवत होते हैं। ब्रह्मगुप्त ने चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्रफल निकालने का सन्निकट सूत्र (approximate formula) तथा यथातथ सूत्र (exact formula) भी दिया है।
चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्रफल का सन्निकट सूत्र:
(\tfrac{p + r}{2}) (\tfrac{q + s}{2})
चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्रफल का यथातथ सूत्र:
\sqrt{(t - p)(t - q)(t - r)(t - s)}.
जहाँ t = चक्रीय चतुर्भुज का अर्धपरिमाप तथा p, q, r, s उसकी भुजाओं की नाप है।
Pages
- Home
- SANATAN DHARM
- 18 Puran
- Science in Vedas
- Agnipuran
- Bhavisya Puran(Prediction)
- Vayu Puran
- saṃskṛtam
- DHARMA
- HINDUISM AT A GLANCE
- VEDIC MATH
- ARCHEOLOGY OF INDIA
- VEDIC SCIENCE
- SHANKHNAD -INDIAN POLITICS ,Hinduism and other rel...
- HINDUISM HISTORY
- LEARN SANSKRIT
- VEDIC ORGANIZATIONS IN USA
- AYURVED in HINDI
- LIBRARY OF SACRED TEXTS
- SANATAN DHARM
- DONATE
- Global Hinduism and its History
Sunday, February 2, 2014
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment