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Sunday, February 2, 2014
DARK MATTER IS ALREADY DESCRIBED IN GITA /VEDAS
विश्व रक्षक अविनाशी विष्णु तीनों लोकों में यज्ञादि कर्मों को पोषित करते हुए तीन चरणों में व्याप्त हैं अर्थात् शक्ति धाराओं (सृजन, षोषण और परिवर्तन) द्वारा विश्व का सन्चालन करते हैं।
ऋक्: भाग 1: मण्डल 1: सूक्त: 1: मन्त्र: 18
विराट् पुरुष की महत्ता अति विस्तृत है। इस श्रेष्ठ पुरुष के एक चरण में सभी प्राणी हैं और तीन भाग अनन्त अन्तरिक्ष में स्थित हैं।
यज्: 31: 3
अथवा हे अर्जुन! ये बहुत जानने से तेरा क्या प्रयोजन है? मैं इस सम्पूर्ण जगत को अपनी योगशक्ति के एक अन्श मात्र से से धारण करके स्थित हूँ।
गीता: 10: 42
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