मारकोनी के आविष्कार के कई वर्ष पूर्व 1855 में आचार्य जगदीशचन्द्र बसु
बंगाल के अंग्रेज गवर्नर के सामने अपने आविष्कार का प्रदर्शन कर चुके
थे।उन्होंने विद्युत तरंगों से दूसरे कमरे मे घंटी बजाई और बोझ उठवाया और
विस्फोट करवाया। आचार्य बसु ने अपने उपकरणों से 5 मिलीली.की तरंग पैदा की
जो अब तक मानी गई तरंगों में सबसे छोटी थी। इस प्रकार बेतार के तारों के
प्रथम आविश्कारक आचार्य बसु ही थे। बसु ने अपने उपरोक्त आविश्कारों का
इंग्लैंड में भी प्रदर्शन किया।इन प्रदर्शनों से अनेक तत्कालीन वैज्ञानिक
आष्चर्यचकित हो गये। उपरोक्त प्रयोगों को आधार बनाकर जब नये प्रयोग
उन्होंने प्रारम्भ किये तो वे इस निश्कषर् पर पहुंचे कि सभी पदार्थों में
जीवन प्रवाहित हो रहा है। अपने प्रयोग…ों द्वारा उन्होंने यह सिध्द कर दिया
कि पेड़ पौधों में भी जीवन का स्पंदन है।.
और वनस्पतियों पर शोध करते समय उन्होंने एक ऐसे यंत्र का निर्माण किया जिससे सूक्ष्म तरंगों के प्रवाह से पानी गरम हो गया यह प्रयोग आगे बढाने के लिए धन के आभाव ने इस प्रयोग को वहीं रोक दिया परन्तु कृपया एक बार पुन्ह ध्यान दें कि पानी कैसे गर्म हुआ और फिर सोचें माइक्रोवेव क्या करता है.
लेकिन आचार्य बसु का ध्यान पेटेंट करवाने में समय व्यर्थ ना करने के स्थान पर विज्ञानं की अधिक से अधिक सेवा में था इसका फायदा उठाकर इन पश्च्यात जगत के तकनीकज्ञों ने कलपुर्जे जोड़कर रेडियो और माइक्रोवेव का नाम देकर पेटेंट करवा दिया और खुद को वैज्ञानिक के रूप में विश्व के सामने प्रेषित किया.
और वनस्पतियों पर शोध करते समय उन्होंने एक ऐसे यंत्र का निर्माण किया जिससे सूक्ष्म तरंगों के प्रवाह से पानी गरम हो गया यह प्रयोग आगे बढाने के लिए धन के आभाव ने इस प्रयोग को वहीं रोक दिया परन्तु कृपया एक बार पुन्ह ध्यान दें कि पानी कैसे गर्म हुआ और फिर सोचें माइक्रोवेव क्या करता है.
लेकिन आचार्य बसु का ध्यान पेटेंट करवाने में समय व्यर्थ ना करने के स्थान पर विज्ञानं की अधिक से अधिक सेवा में था इसका फायदा उठाकर इन पश्च्यात जगत के तकनीकज्ञों ने कलपुर्जे जोड़कर रेडियो और माइक्रोवेव का नाम देकर पेटेंट करवा दिया और खुद को वैज्ञानिक के रूप में विश्व के सामने प्रेषित किया.
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