Khotani RAM Katha
Located on the Northwest border of Asia to the eastern part of turkistan called khotan whose language is khotani. H. dablu. Bailey and then khotani from the Paris manuscript museum Ramayana brought to light. According to his calculation is the ninth century its date.1 khotani is similar to several destinations on the Ramayana tibbiti Ramayana, But there are many such events that are not in Tibetan Ramayana. According to the Ramayana, King dasharatha of majestic khotani son sahastravahu were playing hunting in the forest where their presence was a dharmanishth Brahmin. He had received from his austere kamdhenu chintamniaur. By the grace of the Brahmin King plush kamdhenu welcomed. Departure from King's commandment when their range of Brahmin cow retainer Chale Gaye. Aware of the Brahmin son Parashurama. He made sahastravahu slaughter. Parshuram, the wife of his son sahastravahu of RAM and raishma (LAX) hid inside the Earth. After twelve years he brought out. RAM were unique archery. He said the State handle Anuj raishma and tracked down his father's killer made by Parshuram slaughter. Danvaraj dashagriv has a daughter. Seeing his horoscope said future speakers with my father shall cause all the monster total of nserc. Therefore it was shedding in the backround in boxes. He found a box Rishi. He did his upbringing. He was in a parterre of annulus protection. Were fascinated to see him RAM and raishma. Khotani Ramayana it is not quite clear how the relationship with him that was the RAM and raishma. According to the Ramayana miraculous khotani had the shape of a hundred eyes. RAM and raishma followed her. At the same period reached dashagriv in there But the Defense could not overcome the annulus. Then he went to bhikshuk disguised as SITA and picked them up on the annulus protection ran out. Sitanveshan in order to both brothers was from an old monkey offering. The same site two sibling monkeys were warring native numbering State. One of them was the other name sugreev and NAND. Rama NAND Maitri delusional. He made slaughter sugreev. NAND has discovered the monkeys by saying SITA was sent to search for SITA in seven days if they cannot Their eyes will be gouged. Six days were passed. Seventh day laphus called bandari, spoke of her children female Kak and listened. Telling your children that female Kak dashagriv, SITA is kidnapped. The monkey will not find them. So is eating them monkeys eyes kalh suyog. Found this news through bandari monkeys. However, this message was given to the RAM and raishma. RAM and raishma vanri were on the beach with the army. There are remnants of Brahma NAND on said cause upon stone by touch float in the water. Again, NAND in collaboration with the bridge construction and army including RAM and raishma arrived in Sri Lanka. Dashagriv got excited from the tumult of the monkeys. He went into the sky and the sea who'd flown in from a vishdhar Viper grabbed the same hit on banri army. Nagasra RAM become offended. NAND in order for nectar-sanjivani mortgage himvant mountain itself is brought up. Drugs have become healthier by using RAM. Raavan view the horoscope found out that his biography in his thumb. RAM told him to show his thumb. He soon showed his thumb RAM has made it to the invectives poke murchit. After it has been freed to atmasmapann. Due to his Buddhist influence was not slaughter. RAM and SITA spent a hundred years with raishma,. Meanwhile, the chart entering the soil lokapvad of SITA. Finally called Shakya Muni says that the protagonist of the story he was Maitreya and raishma RAM itself.
खोतानी राम कथा
एशिया के पश्चिमोत्तर सीमा पर स्थित तुर्किस्तान के पूर्वी भाग को खोतान कहा जाता है जिसकी भाषा खोतानी है। एच.डब्लू. बेली ने पेरिस पांडुलिपि संग्रहालय से खोतानी रामायण को खोजकर प्रकाश में लाया। उनकी गणना के अनुसार इसकी तिथि नौवीं शताब्दी है।१ खोतानी रामायण अनेक स्थलों पर तिब्बीती रामायण के समान है, किंतु इसमें अनेक ऐसे वृत्तांत हैं जो तिब्बती रामायण में नहीं हैं। खोतानी रामायण के अनुसार राजा दशरथ के प्रतापी पुत्र सहस्त्रवाहु वन में शिकार खेलने गये जहाँ उनकी भेंट एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण से हुई। उन्होंने अपनी तपस्या से चिंतामणिऔर कामधेनु प्राप्त किया था। कामधेनु की कृपा से ब्राह्मण ने राजा का भव्य स्वागत किया। प्रस्थान करते समय राजा की आज्ञा से उनके अनुचर ब्राह्मण की गाय लेकर चले गये। इसकी जानकारी ब्राह्मण पुत्र परशुराम को हुई। उसने सहस्त्रवाहु का वध कर दिया। परशुराम के भय से सहस्त्रवाहु की पत्नी ने अपने पुत्र राम और रैषमा (लक्ष्मण) को पृथ्वी के अंदर छिपा दिया। बारह वर्षों के बाद दोनों बाहर आये। राम अद्वितीय धनुर्धर थे। उन्होंने अपने अनुज रैषमा को राज्य संभालने के लिए कहा और स्वयं अपने पिता के हत्यारे परशुराम को ढूंढ़ कर वध कर दिया। दानवराज दशग्रीव को एक पुत्री हुई। भविष्य वक्ताओं ने उसकी कुंडली देखकर कहा कि वह अपने पिता के साथ समस्त दानव कुल के नाशकर कारण बनेगी। इसलिए उसे बक्से में बंदकर नदी में बहा दिया गया। वह बक्सा एक ॠषि को मिला। उन्होंने उसका पालन पोषण किया। वह रक्षा वलय के बीच एक वाटिका में रहती थी। राम और रैषमा उसे देखकर मोहित हो गये। खोतानी रामायण में यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि राम और रैषमा का उसके साथ कैसा संबंध था। खोतानी रामायण के अनुसार चमत्कारी मृग की सौ आंखे थी। राम और रैषमा ने उसकी पीछा किया। इसी अंतराल में दशग्रीव वहाँ पहुँचा, किंतु वह रक्षा वलय को पार नहीं कर सका। इसके बाद वह भिक्षुक वेश में सीता के पास गया और रक्षा वलय के बाहर आने पर उन्हें उठाकर भाग गया। सीतन्वेषण क्रम में दोनों भाईयों की भेंट एक बूढ़े बंदर से हुई। उसी स्थल पर दो सहोदर बंदर पैत्रिक राज्य के लिए युद्धरत थे। उनमें से एक का नाम सुग्रीव और दूसरे का नंद था। राम की नंद से मैत्री हो गयी। उन्होंने सुग्रीव का वध कर दिया। नंद ने यह कह कर बंदरों को सीता की खोज करने के लिए भेजा कि यदि वे सात दिनों में सीता की खोज नहीं कर पाते, तो उनकी आँखें निकाल ली जायेगी। छह दिन बीत गये। सातवें दिन लफुस नामक एक बंदरी ने मादा काक और उसके बच्चों की बात को सुन लिया। मादा काक अपने बच्चों से कह रही थी कि दशग्रीव ने सीता का अपहरण कर लिया है। बंदर उन्हें खोज नहीं पायेंगे। इसलिए कल्ह उन्हें बंदरों की आँखे खाने का सुयोग है। बंदरी के माध्यम से यह समाचार बंदरों को मिला। फिर, यह संदेश राम और रैषमा को दिया गया। राम और रैषमा वानरी सेना के साथ समुद्र तट पर गये। वहाँ पहुँचने पर नंद ने कहा ब्रह्मा के वरदान के कारण उसके द्वारा स्पर्श करने पर पत्थर जल में तैरने लगते हैं। फिर, नंद के सहयोग से सेतु का निर्माण हुआ और सेना सहित राम और रैषमा लंका पहुँचे। बंदरों के कोलाहल से दशग्रीव उत्तेजित हो गया। वह उड़कर आकाश में चला गया और समुद्र से एक विषधर सांप को पकड़कर उसी से बानरी सेना पर प्रहार किया। नागास्र से राम आहत हो गये। नंद अमृत-संजीवनी लाने के क्रम में हिमवंत पर्वत को ही उखाड़कर ले आया। औषधि के प्रयोग से राम स्वस्थ हो गये। रावण की जन्म कुंडली देखने पर पता चला कि उसकी जीवनी उसके अंगूठे में है। राम ने उसे अंगूठा दिखाने के लिए कहा। उसने जैसे ही अंगूठा दिखाया, राम ने उस पर बाण प्रहार कर उसे मुर्छित कर दिया। आत्मसमपंण करने के बाद उसे मुक्त कर दिया गया। बौद्ध प्रभाव के कारण उसका वध नहीं किया गया। राम और रैषमा ने सीता के साथ सौ वर्ष बिताया। इसी बीच लोकापवाद के कारण सीता धरती में प्रवेश कर गयी। अंत में शाक्य मुनि कहते हैं कि इस कथा का नायक राम स्वयं वे ही थे और मैत्रेय रैषमा था।
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