Hikayat Seri Rama Katha malyeshiya of RAM and
Malyeshiya of Islamization was around the thirteenth century. The oldest manuscript in the bodleian library 1633E Malay Ramayana. Was credited.1 it is known that malyavasiyon had so much influence on the Ramayana after the Islamization also could not abandon him. Malyeshiya is based on a detailed composition in ramkatha hosted hikayat seriram ". Its author is unknown. Its creation was among the group from the thirteenth century. In addition here are also available in published ramkathaen lokakhyanon. Edited by Maxwell in this context ' seriram ', Posted by ' ovravek ' and witnessed by hikayat patani ramkatha hosted chef Ravana names are remarkable. Hikayat seriram vichitrataon is the home of ajayab. It starts from birth of Ravana. Chandran (heaven) to adultery with the beauties of siranchak (hiranyaksh) the ten heads and twenty slide on Earth as Ravana had to take birth. He was son of chitravah and grandson of vormaraj (brahmaraj). In addition to the kumbakern the chitravah Ravana (kumbhakarn) and bibusnam (vibhishan) called surpandaki (shupannakha) two sons and had a daughter.2 State of Reason why Ravana to her father sent butik saren island by ship. There he put his legs tied to a tree by penance. Adam become pleased with his penance. He urged God and King of heaven and Earth, gave banva attitude. When the State of the three realms have three marriages by Ravana. His first wife heavenly nymph Neil-best, second earth goddess and Queen of Ganga was the third seas mahadeva. Slide the three-headed nilottama and six enderjat (indrajit), Earth goddess Ganga by maroon attitude (mahiravan) and mahadeva, gangamhasur gave birth to the sons. Chakraborty, son of dasharatha was the King of ispaboga. They wanted to populate a beautiful city. For this he was appointed to the order his Minister pipes. On top of a mountain he planned to rehabilitate the new city. The place to be clean, so did not crumble, a bamboo Bush Then the King took the axe were themselves descended from elephants. He saw beauty in the Bush. They were sitting on her elephant home. The wedding of King mandudevi was in auspicious muhurt. With the new King after Queen married seventeen manjili sedan riding on their State to seven were orbiting. Seventh Orbiter snapped, but King in sedan patrani bradley took hold her on his shoulder. The King pledged that after his bradley to progeny will be State owned. The new city was built. His name was kept, madaripur But the child had been concerned because of a King. At the behest of a Rishi he yajna. Yagyodan was divided into six parts. From mandudri and the goddess or three-part three-part mandu bradley have been. Bradley took a part of part of Kak ran. He was related to Ravana. Rishi cursed by that Kak mandudri, son of yagyodan and killed by which a the khayega, It will be a girl. The marriage will be the son of madudri. Kak yagyodan was where Ravana has her eating with Lanka Puri. Periodically give son named mandudri, and the Seri Rama. Bradley has burden (Bharat) and gave birth to crediton (shatrughan). Ravana revealed the mandudri of unique beauty. He disguised as a Brahmin madaripur accessed by opening the seven locks and Court spells went inside and began playing the harp. Hearing the sound of the harp dashrath end: quit, Pur The Brahmin veshdhari Ravana asked urged to give mandudri. He first turned down the request, but later gave their approval. Mandudri has also made her go with deny But later he gave it the creation of a beauty queen. Ravana went over the fake mandudri. In the way of an ascetic in his presence. She asked the man or his monkey. He was ascetic devotee of Vishnu. He cursed Ravana, his death will be by man or monkey. Ravana was married with pomp by fake mandudri. A few days later it was a girl who was pretty similar to gold.Ravana's brother seeing his horoscope by bivusnabh (vibhishan) said the Virgo's husband will slaughter her father. In her iron boxes to learn Ravana backround sea Thrown in.3 iron mailbox overflow went dvaravti. Maharishi kali were sea bath. At the same time he dashed from their foot box. They were near his wife box mannheimer goddess. Mailbox was full House opening Lucent. It was an extremely beautiful girl. Maharishi put his name to seeta Devi kali. They kept four rhythm tree at the same time. He at the same time showed that the tree forty Taan aimed at anyone who will make them the same invectives from fragmented, The wedding of SITA Devi from the same position.4 mandurapur Maharshi arrived in kali. They asked dasaratha to RAM and Laxman expressed his desire to move to seven. Shatrughan Bharat and return them to the King to carry with said. Examination of the Maharishi began to take them both. He said that dvaravti four exits. They would like to go there by the way. The first way seventeen days. He's way too awesome. In that way is a monstrous genji that Ravana could not even looser. The other way is twenty days. This is called the path to angai-gangai gainda You have to kill. Third way twenty-five days. The rast is a serpent in sarangani. The fourth way forty days
मलयेशिया की राम कथा और हिकायत सेरी राम
मलयेशिया का इस्लामीकरण तेरहवीं शताब्दी के आस-पास हुआ। मलय रामायण की प्राचीनतम पांडुलिपि बोडलियन पुस्तकालय में १६३३ई. में जमा की गयी थी।१ इससे ज्ञात होता है कि मलयवासियों पर रामायण का इतना प्रभाव था कि इस्लामीकरण के बाद भी लोग उसके परित्याग नहीं कर सके। मलयेशिया में रामकथा पर आधरित एक विस्तृत रचना है 'हिकायत सेरीराम'। इसका लेखक अज्ञात है। इसकी रचना तेरहवीं से सत्रहवीं शताब्दी के बीच हुई थी। इसके अतिरिक्त यहाँ के लोकाख्यानों में उपलब्ध रामकथाएँ भी प्रकाशित हुई हैं। इस संदर्भ में मैक्सवेल द्वारा संपादित 'सेरीराम', विंसटेड द्वारा प्रकाशित 'पातानी रामकथा' और ओवरवेक द्वारा प्रस्तुत हिकायत महाराज रावण के नाम उल्लेखनीय हैं। हिकायत सेरीराम विचित्रताओं का अजायब घर है। इसका आरंभ रावण की जन्म कथा से हुआ है। किंद्रान (स्वर्गलोक) की सुंदरियों के साथ व्यभिचार करने वाले सिरानचक (हिरण्याक्ष) को पृथ्वी पर दस सिर और बीस भुजाओं वाले रावण के रुप में जन्म लेना पड़ा। वह चित्रवह का पुत्र और वोर्मराज (ब्रह्मराज) का पौत्र था। चित्रवह को रावण के अतिरिक्त कुंबकेर्न (कुंभकर्ण) और बिबुसनम (विभीषण) नामक दो पुत्र और सुरपंडकी (शूपंणखा) नामक एक पुत्री थी।२ दुराचरण के कारण रावण को उसके पिता ने जहाज से बुटिक सरेन द्वीप भेज दिया। वहाँ उसने अपने पैरों को पेड़ की डाल में बाँध कर तपस्या करने लगा। आदम उसकी तपस्या से प्रसन्न हो गये। उन्होंने अल्लाह से आग्रह किया और उसे पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल का राजा बनवा दिया। तीनों लोकों का राज्य मिलने पर रावण ने तीन विवाह किया। उसकी पहली पत्नी स्वर्ग की अप्सरा नील-उत्तम, दूसरी पृथ्वी देवी और तीसरी समुद्रों की रानी गंगा महादेवी थी। नीलोत्तमा ने तीन सिरों और छह भुजाओं वाले एंदेरजात (इंद्रजित), पृथ्वी देवी ने पाताल महारायन (महिरावण) और गंगा महादेवी ने गंगमहासुर नाम के पुत्रों को जन्म दिया। चक्रवर्ती के पुत्र दशरथ इस्पबोगा के राजा थे। वे एक सुंदर नगर बसाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अपने मंत्री पुष्पजय क्रम को नियुक्त किया। उसने एक पहाड़ की चोटी पर नया नगर बसाने की योजना बनाई। उस स्थान की सफाई होने लगी, तो बाँस की एक झाड़ी नहीं उखड़ सकी, तब राजा स्वयं कुल्हाड़ी लेकर हाथी से उतर गये। उन्होने झाड़ी में एक सुंदरी को देखा। वे उसे हाथी पर बैठा कर घर ले गये। शुभ मुहूर्त में राजा से मंडूदेवी का विवाह हुआ। विवाह के बाद राजा ने नई रानी के साथ सत्रह मंजिली पालकी पर सवार होकर अपने राज्य की सात परिक्रमा करने गये। सातवीं परिक्रमा में पालकी टूट गयी, किंतु राजा की पटरानी बलियादारी ने उसे अपने कंधे पर रोक लिया। राजा ने बलियादारी को वचन दिया कि उसके बाद उसकी संतान ही राज्य का स्वामी बनेगा। नये नगर का निर्माण हो गया। उसका नाम मदुरापुर रखा गया, किंतु संतान नहीं होने के कारण राजा चिंतित रहा करते थे। एक ॠषि के कहने पर उन्होंने यज्ञ किया। यज्ञोदन को छह भागों में विभाजित किया गया। उसमें से तीन भाग मंडू देवी या मंदुदरी और तीन भाग बलियादारी को दिया गया। बलियादारी के हिस्से का एक भाग एक काक लेकर भाग गया। वह रावण का संबंधी था। ॠषि ने शाप दिया कि काक मंदुदरी के पुत्र द्वारा मारा जायेगा और जो कोई उस यज्ञोदन को खायेगा, उसे एक पुत्री होगी। उसका विवाह मदुदरी के पुत्र से होगा। काक यज्ञोदन लेकर लंका पुरी गया जहाँ रावण उसे खा गया। कालांतर में मंदुदरी को सेरी राम और लक्ष्मण नामक दे पुत्र हुए। बलियादारी ने बेरदन (भरत) और चित्रदन (शत्रुघ्न) को जन्म दिया। रावण को मंदुदरी के अनुपम सौंदर्य का पता चला। वह ब्राह्मण वेश में मदुरापुर पहुँचा और राजभवन के सात तालों को मंत्र द्वारा खोलकर अंदर चला गया और वीणा बजाने लगा। वीणा की ध्वनि सुनकर दशरथ अंत:पुर से बाहर निकले, तो ब्राह्मण वेशधारी रावण ने उनसे मंदुदरी को देने का आग्रह किया। उन्होंने पहले तो उसके अनुरोध को ठुकरा दिया, किंतु बाद में अपनी स्वीकृति दे दी। मंदुदरी ने भी पहले उसके साथ जाने से इन्कार किया, किंतु बाद में उसने अपने समान एक सुंदरी का सृजन कर उसे दे दिया। रावण नकली मंदुदरी को लेकर चला गया। रास्ते में उसकी भेंट एक तपस्वी से हुई। उसने तपस्वी से पूछा कि वह आदमी है अथवा बंदर। वह तपस्वी विष्णु का भक्त था। उसने रावण को शाप दिया कि उसकी मृत्यु आदमी या बंदर के द्वारा होगी। रावण ने धूमधाम से नकली मंदुदरी के साथ विवाह किया। कुछ दिनों बाद उसे एक पुत्री हुई जो सोने के समान सुंदर थी।रावण के भाई बिवुसनभ (विभीषण) ने उसकी कुंडली देखकर कहा कि इस कन्या का पति उसके पिता का वध करेगा। यह जानकर रावण उसे लोहे के बक्से में बंदकर समुद्र में फेंक दिया।३ लोहे का बक्सा बहकर द्वारावती चला गया। महर्षि कलि समुद्र स्नान कर रहे थे। उसी समय वह बक्सा उनके पैर से टकराया। वे बक्सा लेकर अपनी पत्नी मनुरमा देवी के पास गये। बक्सा खोलने पर पूरा घर प्रकाशमान हो गया। उसमें एक अत्यंत सुंदर कन्या थी। महर्षि कलि ने उसका नाम सीता देवी रखा। उन्होनें उसी समय चालीस ताल वृक्ष रखा। उन्होंने उसी समय चालीस तान वृक्ष इस उद्देश्य से लाग दिया कि जो कोई उन्हें एक ही बाण से खंडित कर देगा, उसी से सीता देवी का विवाह होगा।४ महर्षि कलि मंदुरापुर पहुँचे। उन्होने दशरथ के समक्ष राम और लक्ष्मण को अपने सात ले जाने की इच्छा प्रकट की। राजा ने उनके बदले भरत और शत्रुघ्न को अपने साथ ले जाने के लिए कहा। महर्षि उन दोनों की परीक्षा लेने लगे। उन्होंने कहा कि द्वारावती जाने के चार रास्ते हैं। वे किस मार्ग से वहाँ जाना चाहेंगे। पहला रास्ता सत्रह दिनों का है। वह मार्ग अत्यधिक भयानक है। उस रास्ते में जगिनी नामक राक्षसी रहती है जिसे रावण भी पराजित नहीं कर सका। दूसरा रास्ता बीस दिनों का है। इस पथ से जाने वाले को अंगई-गंगई नामक गैंड़ा को मारना पड़ेगा। तीसरा रास्ता पच्चीस दिनों का है। उस रास्त में सुरंगिनी नामक नागिन रहती है। चौथा रास्ता चालीस दिनों का है। उसमें कोई खतरा नहीं है। दोनों भाईयों ने चौथ रास्ते का चुनाव किया। महर्षि समझ गये कि दोनों में शौर्य और पराक्रम का अभाव है। उन्होंने पुन: राजा से राम और लक्ष्मण को अपने साथ जाने देने का आग्रह किया। राजा ने अपनी स्वीकृति दे दी। ॠषि ने राम से भी वही सवाल पूछा। उन्होंने पहले रास्ते का चुनाव किया। आदि से अंत तक 'हिकायत सेरी राम' इसी प्रकार की विचित्रताओ से परिपूर्ण है। यद्यपि इसमें वाल्मीकीय परंपरा का बहुत हद तक निर्वाह हुआ है, तथापि इसमें सीता के निर्वासन और पुनर्मिलन की कथा में भी विचित्रता है। सेरी राम से विलग होने पर सीता देवी ने कहा कि यदि वह निर्दोष होंगी, तो सभी पशु-पक्षी मूक हो जायेंगे। उनके पुनर्मिलन के बाद पशु-पक्षी बोलने लगते हैं। इस रचना में अयोध्या नगर का निर्माण भी राम और सीता के पुनर्मिलन के बाद ही होता है।
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