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Saturday, February 7, 2015

RAMAYAN IN NORTH EAST INDIA

!! There are tribes of North-East across the Ramayana-Mahabharata period!!
Northeast India, saying the rest of the tribes is being teased in Chinese, they actually are Indian tribes out. These yourself not only as a descendant of the characters of the Ramayana-Mahabharata, But the traditions of their ancestors are also keeping alive. The first album to Arunachal Pradesh to savard 54 of the Mizo tribes mishmi tribes descended from the god Krishna himself patrani Rukmini holds. According to legends and translate Rukmini Princess of Arunachal region today were the bhishmaknagar. His father's name was bhishmak and brother name rukmangad. When Lord Krishna Rukmini to kidnap then rukmangad opposed them. Both the grueling war. Param vir rukmangad to Krishna defeated his Sudarshan chakra had to remove. It Requested by Krishna Rukmini looking that they not take the life of his brother, Just leave the lesson to teach. Then half of the Sudarshan chakra to Krishna rukmangad mundan ordered. By Sudarshan chakra rukmangad's a rddhamundan as today's military cut hair is styled. Mizo mishmi tribe of men still keep your hairstyle like that. Meghalaya's sizeable population of nearly 12 million jayantiya tribe. This tribe is also versed in archery today. But do not use it while you thumb archery. Of these, many have never heard the name of ekalavya. But know that his ancestry by your right thumb Gurudkshina gave in, so should not use the thumb when the arrow. Similarly, a city of dimapur Nagaland never was known by the name of hidimbapur. Renewal in the multiplicity here dimasha tribe descended from the wife hidimba themselves bigger holds. There still is, hidimba of vada Located in chess where ravaged high-high gotiyan are considered tourist hotspots. That these gotiyon buble son Ghatotkacha of hidimba and bigger than plays chess. Today-tomorrow discussion going on in Assam's Bodo tribe descendant of Brahma the creator of creation where the holds, the renewal in the Hill districts of Assam angalang sugreev kirby kirby with the tribe. Ukhrul district of Manipur State join the Myanmar name is considered one with a total of ulupi- The Arjun has a wife ulupi links from. Here people of the tribe tankhul blevins are considered proficient in martial arts. Due to his combative nature only 40 percent of the separatist faction of Nagaland NSCN members are tankhul tribe. The second wife of Arjuna crediting also is considered the only meet in Manipur society, which now has become a Vaishnava.
!! पूर्वोत्तर की जनजातियां जुडी हैं रामायण-महाभारत काल से !!
पूर्वोत्तर की जिन जनजातियों को शेष भारत में चीनी कहकर चिढ़ाया जाता है, वे असल में खांटी भारतीय जनजातियां हैं। ये अपने आप को न सिर्फ रामायण-महाभारत के पात्रों का वंशज मानती हैं, बल्कि अपने पूर्वजों की परंपराओं को जीवित भी रखे हुए हैं। सबसे पहले सूर्यदेव को प्रणाम करने वाले अरुणाचल प्रदेश की 54 जनजातियों में से एक मिजो मिश्मी जनजाति खुद को भगवान कृष्ण की पटरानी रुक्मिणी का वंशज मानती है। दंतकथाओं के अनुसार रुक्मिणी आज के अरुणाचल क्षेत्र स्थित भीष्मकनगर की राजकुमारी थीं। उनके पिता का नाम भीष्मक एवं भाई का नाम रुक्मंगद था। जब भगवान कृष्ण रुक्मिणी का अपहरण करने गए तो रुक्मंगद ने उनका विरोध किया। दोनों में भीषण युद्ध हुआ। परमवीर रुक्मंगद को पराजित करने के लिए कृष्ण को अपना सुदर्शन चक्र निकालना पड़ा। यह देख रुक्मिणी ने कृष्ण से अनुरोध किया कि वे उनके भाई की जान न लें, सिर्फ सबक सिखाकर छोड़ दें । तब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र को रुक्मंगद का आधा मुंडन करने का आदेश दिया। सुदर्शन चक्र द्वारा किया गया रुक्मंगद का यह अ‌र्द्धमुंडन ही आज का मिलिट्री कट हेयर स्टाइल है। मिजो मिश्मी जनजाति के पुरुष आज भी अपने केश ऐसे ही रखते हैं। मेघालय की खासी जयंतिया जनजाति की आबादी करीब 12 लाख है। यह जनजाति आज भी तीरंदाजी में प्रवीण मानी जाती है। लेकिन तीरंदाजी करते समय यह अंगूठे का प्रयोग नहीं करती। इनमें से बहुतों ने एकलव्य का नाम भी नहीं सुना है। लेकिन इतना जानते हैं कि उनके किसी पुरखे ने अपना दाहिना अंगूठा गुरुदक्षिणा में दे दिया था, इसलिए तीर चलाते समय अंगूठे का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार नगालैंड के एक शहर दीमापुर को कभी हिडिंबापुर के नाम से जाना जाता था। यहां बहुलता में रहनेवाली दिमाशा जनजाति खुद को भीम की पत्नी हिडिंबा का वंशज मानती है। वहां आज भी हिडिंबा का वाड़ा है, जहां राजवाड़ी में स्थित शतरंज की ऊंची-ऊंची गोटियां पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र मानी जाती हैं। कहते हैं कि इन गोटियों से हिडिंबा और भीम का बाहुबली पुत्र घटोत्कच शतरंज खेलता था। आज-कल चर्चा में चल रही असम की बोडो जनजाति जहां खुद को सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का वंशज मानती है, वहीं असम के ही पहाड़ी जिले कार्बी आंगलंग में रहनेवाली कार्बी जनजाति स्वयं को सुग्रीव से जोड़ती है। म्यांमार से जुड़ने वाले राज्य मणिपुर के जिले उखरूल का नाम उलूपी-कुल का अपभ्रंश माना जाता है, जो अर्जुन की एक पत्नी उलूपी से जुड़ता है। यहां बसनेवाले तांखुल जनजाति के लोग मार्शल आर्ट में प्रवीण माने जाते हैं। अपने जुझारू स्वभाव के कारण ही नगालैंड के अलगाववादी गुट एनएससीएन के 40 प्रतिशत सदस्य तांखुल जनजाति के ही होते हैं। अर्जुन की दूसरी पत्नी चित्रांगदा को भी मणिपुर के ही मैतेयी समाज का माना जाता है, जो अब वैष्णव बन चुका है ।

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