आजकल हम कहते हैं कि न्यूटन ने ही सर्वप्रथम गुरुत्वाकर्षण की खोज की, परन्तु उसके कई वर्षों पूर्व भास्कराचार्य ने पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति को विस्तार में समझा दिया था। हमारी शिक्षा प्रणाली तो इस तथ्य को गर्व से नहीं सिखाती, तो क्या हम भी अपने पूर्वजों के ज्ञान से मुख मोड़ लेंगे? हम Newton सरीके वैज्ञानिकों के योगदान को कम नहीं आँक रहे हैं, अपितु आपको अपनी वैज्ञानिक संपदा के प्रति सचेत कर रहे हैं जो आज कहीं खो सी गयी है| हो सकता है अन्तोगत्वा हम जिन प्रश्नों के उत्तर ढूंढ रहे है वा ढूँढेगे उन्हें हमारे मह्रिषियों ने पहले से ही लिख रखा हो?
saabhar @वैदिकज्ञान (Vedic Science)
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